Monday, 13 February 2017

ख़ुदा की ख़ातिर / KHWAJA HASAN NIZAMI

हम लोगों ने हज़ार सर मारा कि उस अनदेखी ख़ुदा की असीरी से रिहाई हो।मगर ख़बर नही उसको क्या जादू आता है और उसने इंसानों पर क्या-क्या पढ़कर फुक दिया है कि हर आदमी उसका दम भरता है और उसकी ख़ुशी कि ख़ातिर बड़ी-बड़ी बलाओ को सर पर लेता है।

आज-कल हर दुआर मे कुम्बा का मेला है।सोलह-सत्रह लाख इंसानों का जमावो है।रैलों में इंसान हैवानों की तरह भरे जाते है।जिस्म व रूह तहलील करने वाली तकलीफ़े उठाते है मगर ख़ुदा के नाम पर दरिया में एक गोता मारने की ख़ातिर घर-बार छोड़कर चरों तरफ़ से उमढ़े चले आते है।

मुनासिब है कि एक बैन-उल-अक़वाम मूशतर्का कान्फ्रेंस कएम की जाए जिसमे गौर हो कि ख़ुदा का असर कम करने में हम इंसान क्या तर्ज़-ए-अमल इख्तियार करे।ताकिहमारे हम-जीन्स इस रात-दिन की कश-मकश से निजात पाए।

गंगा और ज़म-ज़म के पनी में आख़िर क्या बात है।जो ख़लक़त उसपर पीली पड़ती है।सिवाए इसके कुछ नही कि ख़ुदा ने उनपर कुछ सहर कर दिया है।अगरचे जादू टोना भी खिलाफ़-ए-अक़्ल चीज़ है।लेकिन ब-तौर सीरग्र-ए-सानी व तफ़तीश थोड़ी देर के लिए हम उनको तसलिम किए लेते है,उसके बाद तमाम मूलहीदान-ए-यूरूप के मूनतख़ब आदमियो के ज़रिए कोई न कोई बात ख़ुदा को ज़क देने कि निकल ही आएगी।

मगर डर ये है कि कही वो जिसको ख़ुदा कहते है हमारे ही हम क़ौम लोगों को वली पैगम्मबर,ऋषी,औतार के खूतबात देकर हमारा मुख़ालीफ़ न बना दे।क्यूकि ख़िताब पाकर आदमी बिरादरी के हकूक़ से कुछ बे तालूक़ हो जाता है।

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